योगिराज श्रीयुत महंत चांदनाथ जी योगी
महान कर्मयोगी योगिराज श्रीयुत महंत चांदनाथ जी योगी
जिनके चरण कमल का स्मरण सम्पूर्ण बिघन समूह को नस्ट कर देता है मै सरस्वती का ध्यान लगा कर तथा सिद्ध योगी बाबा मस्तनाथ जी का स्मरण कर सिद्ध बाबा मस्तनाथ स्वरूप योगीसिद्ध बाबा महंत चाँद नाथ जी योगी की जीवन लीला का संछिप्त वर्णन आप लोगों के सामने कर रहा हूँ , भगवान गणेश माँ सरस्वती मेरे इस छोटे से परयाश को सफल करें |
पूज्य महंत चांदनाथ योगी जी - जन्म एवम शिक्षा
दिल्ली के बेगमपुर गाँव मैं पिता श्री मोहर सिंह तथा माता श्रीमती चंपा देवी के संपन्न किसान परिवार मैं २१ जून १९५६ मैं एक दिव्या बालक का जन्म हुआ | सात भाई बहिनों मैं सबसे बड़े बालक की बुद्धि बचपन से ही कुशाग्र थी वह धर्म कर्म मैं रुचि रखने वाला तथा तेजस्वी था |इस बालक का नाम इनके माता पिता ने चाँद राम रखा | वही बालक बड़ा होकर महंत चाँद नाथ जी के नाम से जाना गया | जिसने अपनी विशिष्ट कार्य शैली एवम विशिष्ट व्यक्तित्व के द्वारा श्री बाबा मस्तनाथ जी की परम्परा को आगे बढाया एवम मठ का संरक्षक बना |
महंत चाँद नाथ जी ने हिन्दू कॉलेज दिल्ली से बी.ए. (आनर्ष) की उपाधि प्रथम श्रेणी मैं प्राप्त की , स्नातक के पश्चात् २१ जनवरी १९७८ महा चौदस के दिन महंत श्रेयोनाथ जी से दीक्षा ग्रहण की तथा उनके आदेश अनुसार थेहडी हनुमानगढ़ जाकर वहां का कार्य भार संम्भाला तथा ७ जनवरी १९८५ तक वे इसी क्षेत्र मैं कार्य करते रहे उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा भी डॉक्टर की मानद उपाधि प्रदान की गई |
मेरे गुरुदेव की शिक्षा ओउर उपलब्धियां -
गुरुदेव सिद्ध बाबा महंत चाँद नाथ जी योगी
- २१ जून १९५६ मैं गाँव बेगमपुर मैं जन्म|
- १९७७ मैं बी ए (आनर्स ) की उपाधि |
- २१ जन १९७८ नाथ सम्प्रदाय की दीक्षा |
- २१ मई १९८४ रस्म चादर प्रक्रिया |
- ३० मई १९८४ को कानूनन वसीयत |
- ९ जन १९८५ गद्दी नशीन महंत |
- १९८६ मैं गुरु समाधी स्थल का निर्माण |
- १९८७ मैं सिविल रोड पब्लिक स्कूल |
- १९८८ मैं आवासीय पब्लिक स्कूल |
- १९८९ मैं बाबा मस्तनाथ सभागार |
- १९९० मैं शिव मंदिर की स्थापना |
- १९९१ मैं प्राचीन शिव मंदिर का जीर्णोधार |
- १९९२ मैं थेहडी डेरा मंदिर |
- १९९३ मैं चक ७ एल एल का निर्माण |
- १९९४ मैं बद्री नाथ धर्मशाला निर्माण |
- १९९५ मैं एम् बी ए कॉलेज की स्थापना |
- १९९६ मैं फार्मेसी एवम डी एड कॉलेज |
- १९९७ मैं डेंटल कॉलेज जी स्थापना |
- १९९८ मैं फिजीयोथेरेपी एवम मॉडर्न साइंस|
- १९९९ मैं संस्कृत कॉलेज की स्थापना |
- २००० मैं नर्सिंग कॉलेज की स्थापना |
- २००१ मैं कन्या छात्रावास की स्थापना |
- २००२ मैं सिद्ध बाबा रणपत मान्धाता समाधी स्थल का निर्माण |
- २००३मैं रैबारी धर्मशाला का निर्माण |
- २००४ मैं शिक्षा रतन एवम बहरोर बिधायक |
- २००५ मैं चिकितसा रतन एवम छात्रावास न. २ |
गुरु की याद मैं
पूज्य महंत श्रेयोनाथ जी की स्मृति में महंत चाँद नाथ जी द्वारा श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया गया जिसमें अनेक साधू संत महंत एवम भक्त जनों पूज्य महंत जी को श्रद्धांजलि अर्पित की तथा उन्हें कम्बल भेंट कर परम्परानुसार दक्षिणा दी गई |
गुरु की स्मृति में २१ से २३ जनवरी १९८६ त्रयोदशी ,चतुर्दशी पौष शुक्ल पूर्णिमा के के दिन एक विशाल सम्मलेन का आयोजन किया गया | जिसमें अनेक संतों ने अपने विचार रखे |
गुरु के पदचिन्हों पर
गुरु के द्वारा प्राप्त ज्ञान को कर्म रूप में प्रस्तुत करना गुरु की सच्ची आराधना है वर्तमान में श्री बाबा मस्तनाथ मठ के महंत चांदनाथ जी ने अपने गुरु की आराधना में गुरु के कार्यों को विस्तृत रूप देकर पूर्ण किया महंत श्रीयोनाथ जी द्वारा प्रारंभ किये गए चिकित्सकीय एवम जनोपयोगी कार्यों को विस्तृत एवम आधुनिक रूप प्रदान किया |
श्री युत श्रेयोनाथ जी द्वारा स्थापित श्री बाबा मस्तनाथ धर्मार्थ नेत्र चिकित्स्यालय तथा श्री बाबा मस्तनाथ सामान्य चिकत्सालय का आधुनिकीकरण कर विशिष्ट रूप प्रदान किया | धर्मार्थ नेत्र चिकित्स्यालय में न सिर्फ रोगियों की सामान्य नेत्र चिकित्सा की जाती है - अपितु आत्याधुनिक विधियों द्वारा नेत्र प्रत्यारोपण , लेज़र चिकित्सा तथा नेत्र संग्रहण जैसी सुबिधायें भी ऊपलब्ध हैं |
गुरु द्वारा स्थापितश्री बाबा मस्तनाथ धर्मार्थ सामान्य चिकित्सालय ने भी आज अपने विशाल रूप को प्राप्त कर लिया है | यहाँ न सिर्फ एलोपेथिक चिकित्सा की बिभिन्न आधुनिक शैलियों के द्वारा चिकित्सा की जाती है अपितु आयुर्वेद चिकित्सा को भी विशिष्ट रूप प्रदान कर रोगियों को रोग मुक्त किया जाता है | इस चिकित्सालय को आधुनिक रूप प्रदान करना महंत चाँद नाथ जी की ही उपलब्धि है |
श्रीयुत श्रेयोनाथ जी द्वारा स्थापित आयुर्वेदिक महाविद्यालय का आधुनिकीकरण ,नवीन आधुनिक पुस्तकालय का निर्माण , आधुनिक पौधशाला का निर्माण चिकित्सकीय जड़ी -बूटियों पर नवीन अनुशंधान एवम आधुनिक रसायन शाला का निर्माण महंत चांदनाथ जी के ही प्रयाशों का ही फल है |
महंत जी ने श्री बाबा मस्तनाथ मैथ अस्थल बोहर क्षेत्र के चारों ऑर चार दीवारी का निर्माण कराकर मठ को नवीन रूप प्रदान किया ताकि मठ की गरिमा को मर्यादित किया जा सके | योगिराज चाँद नाथ जी ने न सिर्फ क्षतिग्रस्त प्राचीन भवनों का नवीनीकरण एवम पुनरुद्धार कराया अपितु सौन्दर्यीकरण की ऑर भी विशेष ध्यान दिया|
गुरु के समाधी स्थल का निर्माण
अपने गुरु के प्रति अगाध श्रद्धा स्नेह के कारण एवम उनकी स्मृतियों को संजोये रखने के लिए महंत चाँद नाथ जी योगी जी ने अपने पूज्य गुरु महंत श्रेयोनाथ जी के समाधी स्थल का श्री बाबा मस्तनाथ जी के समाधी स्थल के समीप निर्माण कराया जहाँ अखंड ज्योत हमेशा प्रज्ज्वलित रहती है | इसका निर्माण कार्य सन १९८६ मैं शुरू हुआ तथा सफ़ेद मकराना पत्थर से सुशोभित इस समाधी की छटा देखते ही बनती है यह वास्तु कला का एक उत्कृष्ट एवम अनुपम नमूना है |
ज्ञान वृक्ष का विस्तार
वृक्षों की जड़ें जितनी गहरी होती हैं वृक्ष उतना ही विस्तृत होता है | पूजनीय महंत चाँद नाथ जी योगी ने अपने गुरु श्री श्रेयोनाथ जी द्वारा रोपे गए वृक्ष की जड़ों का सिंचन किया और नवीन ज्ञान वृक्षों का रोपण किया | यह ज्ञान वृक्ष न सिर्फ हरयाणा वासिओं को अपितु सम्पूर्ण देश के ज्ञान उपासकों को ज्ञान का रसास्वादन करवा रहा है |
महंत चाँद नाथ जी ने नवीन ज्ञान वृक्षों का रोपण कर उन्हें संस्थान का रूप प्रदान किया जिसे आज श्री बाबा मस्तनाथ शिक्षण संस्थान के रूप से जाना जाता है |इस ज्ञान संस्थान में अनेक महाविद्यालय एवम चिकित्सालय हैं जो न सिर्फ ज्ञान के अपितु सेवा के भी केंद्र है
वास्तुकला प्रेमी
गुरु गुड ही रहे चेला शक्कर हो गया इस कहावत को चरितार्थ करते हुए महंत चाँद नाथ जी योगी ने जीर्ण शीर्ण मंदिरों का पूर्णोद्धार एवम नवीनीकरण आधुनिक वास्तुकला के आधार पर करवाया | मठ के बीचों बीच बना हठयोगी रनपतनाथ मान्धातानाथ जी के समाधी स्थल को नवीन रूप देकर २ करोड़ की लागत से राजस्थान से लाए गए पत्थरों द्वारा इसे स्मृति स्थल बनाकर विशिष्ट रूप प्रदान किया गया |
मस्तनाथ शिक्षण संस्थान मैं बना उत्तर भारत का विशाल एवम विशिष्ट सभागार जहाँ १२०० व्यक्तियों के बैठने की व्यवस्था है तथा जो पूर्णतया वातानुकूलित है महंत जी की उच्च आकांक्षाओं का प्रतीक है यहाँ पर लगी स्क्रीन , प्रोजेक्टर आदि सभी आधुनिक संयंत्रों द्वारा संचालित हैं |
गौशाला का निर्माण
मठ क्षेत्र मैं स्थित यह गौ शाला गायों के प्रति महंत जी के स्नेह का द्योतक है यहाँ पर लगभग ५०० गायें हैं | यहाँ सभी गायों की समय समय पर चिकित्सा जाँच की जाती है तथा उनके चारे एवम जल की समुचित व्यवस्था की गई है
नाथ साहित्य प्रेमी एवम संरक्षक
योगी गुरु महंत चाँद नाथ जी को साहित्य से अत्यंत लगाव रहा है तथा वे नाथ परम्परा के साहित्य संरक्षक की भूमिका का निर्वहन कर रहे है | नाथ रहस्य ,नाथ सिद्धों की शंखाढाल , बाबा मस्तनाथ चरित , दिव्य भूमि मठ अस्थल बोहर तथा मेरे पूज्य गुरु देव आदि गुप्त एवम विल्लुप्त होते साहित्य ग्रंथों का काया कल्प कर उन्हें प्रकाश लेन का श्रेय महंत चाँद नाथ जी को जाता है | हरयाणवी कैसट एवम सीडी के माध्यम से बाबा मस्तनाथ चरित्र का रूपांतरण करवाने का श्रेय श्री बाबा योगी महंत चाँद नाथ जी को ही जाता है |
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