श्री बाबा मस्तनाथ जी द्वारा बचपन में ग्वालों और बारातियों को चमत्कार दिखाना
एक बार सब ग्वालों ने मिलकर मस्ता जी से कहा की वे सब जंगल में उनके साथ खेलना चाहते हैं | गाएं चरती रहेंगी और पास में ही उनका खेल भी होता रहेगा | मस्ता जी ने उनका यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया |
अगले दिन जंगल में सारे ग्वाले मिलकर खेलने लगे खेल खेल में उन्हें समय की भी सुध भी न रही जब सायं काल होने को आया तो ग्वालों ने कहा की प्यास के मारे उनका बुरा हाल हो रहा है कही आसपास पानी नहीं है अब वे क्या करें |बिना पानी उनका मर जाना साफ़ दिखाई पड़ रहा है |
मस्ता जी ने उनके इस संकट को समझा | वे एक खाली बाल्टी लेकर एक गाय के पास पहुचे और उसका दूध निकाल कर ले आये उस दूध से सब ग्वालों की प्यास बुझाई ओर उन्हें भर पेट दूध पिलाया |
समीप ही मार्ग से एक बरात जा रही थी मस्ता ने बारातियो को बुला कर उसी बाल्टी दूध से बारातियो को भी दूध पिलाया आश्चर्य यह रहा की उस एक बाल्टी में से समस्त पालियों और सारे बारतियों को दूध पिलाया जाने पर भी बाल्टी भरी की भरी ही रही
बारातियों नें यह अचम्भा देखा तो चकित रह गए उन्होंने यह समझ लिया मस्ता जी सिद्ध–पुरुष हैं. उन्होंने मस्ता जी से उनका घर का पता पूंछा और बिदा ली| उन्होंने निश्चय किया की लौटती बार वे सब मस्ता जी के घर जायेंगे और उस पावन घर का शुभ दर्शन अवश्य करेंगे जहाँ मस्ता जी ने जन्म ग्रहण किया है |
ग्वालों ने मस्ता जी के चमत्कार की बात गांव के लोगों को बताई तो लोगों ने बच्चों की बात समझकर उस पर कोई ध्यान नहीं दिया और उसे हँसी मैं टाल दिया |
विवाह के बाद वह बरात लौटती हुई कंसरेटी गांव मैं आई और उन बरातियों ने भी जब यह घटना सुनाई तब सभी गांव वाले मस्ता जी के इस चमत्कार को सुन कर चकित रह गए |
बाराती सबला(मस्ता के पिता ) के घर गए और ऐसा सिद्ध सपूत पाने पर उन्हें बधाई दी |
सायं काल जब मस्ता जी घर लौटे तब सबला जी ने उन्हें अपने पास बुला कर कहा कि- बेटा! कल से तुम घर पर ही रहो, भगवान का भजन करो | गाय चराने का कोई दूसरा प्रबन्ध कर लिया जाएगा |
बालक मस्ता ने अपने पूज्य पिता की आज्ञां शिरोधार्य की और इसके अनुसार आचरण करने लगे |
यदि आप बाबा मस्तनाथ जी से सम्बंधित कोई जानकारी चाहते हैं तो आप लोगिन कर सकते हैं sbmnmath.blogspot.com पर और मेल कर सकते हैं sbmnmath@gmail.com पर और फेस बुक पर लोगिन कर सकते हैं sbmnmath@facebook.com पर |
एक बार सब ग्वालों ने मिलकर मस्ता जी से कहा की वे सब जंगल में उनके साथ खेलना चाहते हैं | गाएं चरती रहेंगी और पास में ही उनका खेल भी होता रहेगा | मस्ता जी ने उनका यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया |
अगले दिन जंगल में सारे ग्वाले मिलकर खेलने लगे खेल खेल में उन्हें समय की भी सुध भी न रही जब सायं काल होने को आया तो ग्वालों ने कहा की प्यास के मारे उनका बुरा हाल हो रहा है कही आसपास पानी नहीं है अब वे क्या करें |बिना पानी उनका मर जाना साफ़ दिखाई पड़ रहा है |
मस्ता जी ने उनके इस संकट को समझा | वे एक खाली बाल्टी लेकर एक गाय के पास पहुचे और उसका दूध निकाल कर ले आये उस दूध से सब ग्वालों की प्यास बुझाई ओर उन्हें भर पेट दूध पिलाया |
समीप ही मार्ग से एक बरात जा रही थी मस्ता ने बारातियो को बुला कर उसी बाल्टी दूध से बारातियो को भी दूध पिलाया आश्चर्य यह रहा की उस एक बाल्टी में से समस्त पालियों और सारे बारतियों को दूध पिलाया जाने पर भी बाल्टी भरी की भरी ही रही
बारातियों नें यह अचम्भा देखा तो चकित रह गए उन्होंने यह समझ लिया मस्ता जी सिद्ध–पुरुष हैं. उन्होंने मस्ता जी से उनका घर का पता पूंछा और बिदा ली| उन्होंने निश्चय किया की लौटती बार वे सब मस्ता जी के घर जायेंगे और उस पावन घर का शुभ दर्शन अवश्य करेंगे जहाँ मस्ता जी ने जन्म ग्रहण किया है |
ग्वालों ने मस्ता जी के चमत्कार की बात गांव के लोगों को बताई तो लोगों ने बच्चों की बात समझकर उस पर कोई ध्यान नहीं दिया और उसे हँसी मैं टाल दिया |
विवाह के बाद वह बरात लौटती हुई कंसरेटी गांव मैं आई और उन बरातियों ने भी जब यह घटना सुनाई तब सभी गांव वाले मस्ता जी के इस चमत्कार को सुन कर चकित रह गए |
बाराती सबला(मस्ता के पिता ) के घर गए और ऐसा सिद्ध सपूत पाने पर उन्हें बधाई दी |
सायं काल जब मस्ता जी घर लौटे तब सबला जी ने उन्हें अपने पास बुला कर कहा कि- बेटा! कल से तुम घर पर ही रहो, भगवान का भजन करो | गाय चराने का कोई दूसरा प्रबन्ध कर लिया जाएगा |
बालक मस्ता ने अपने पूज्य पिता की आज्ञां शिरोधार्य की और इसके अनुसार आचरण करने लगे |
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