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Wednesday 27 June 2012

बाबा मस्तनाथ जी द्वारा खिडवाली गांव को शाप देना
हरयाणा राज्य के धार्मिक जनों के हृदय स्थल `अस्थल बोहर `से बारह मील कि दूरी पर खिडवाली नामक विशाल गांव स्थित है| एक बार, अपनी धर्म यात्रा के प्रसंग में, सिद्ध सिरोमणि बाबा मस्तनाथ जी खिडवाली पधारे |
योगिराज के शिष्यों ने उनकी अग्नि तपस्या के लिए, गांव के बाहर, उनका परम पावन धूना रमाया |
धूने को निरन्तर प्रज्वलित रखने के लिए समिधाओं (लकडियों) कि आवश्यकता पूर्ण करने के लिए, सिद्ध शिरोमणि कि आज्ञा से, उनके परम अनुरक्त शिष्य योगी श्री रनपतनाथ तथा योगी श्री धातानाथ गांव में पहुंचे|उन दिनों खिडवाली गाँव में राऊ पाने (मौहल्ला) कि चौपाल का भवन बनाने कि तैयारियाँ कि जा रही थी| इस प्रयोजन कि पूर्ती के लिए, एक विशालकाय वजनदार लकड़ी का सह्तीर लाया जा चुका था तथा अन्य सामान भी जुटाया जा रहा था इसी प्रसंग में गांव के अनेक पुरुष एक स्थान पर एकत्र बैठे थे | योगी श्री रनपतनाथ तथा योगी श्री धातानाथ ने एक ही स्थान पर एकत्रित उन पुरुषों के पास जाकर कहा कि गांव के सौभाग्य से सिद्ध सिरोमणि बाबा मस्तनाथ जी उनके गांव में पधारे हैं | गांव के बाहर उनका पावन धूना रमाया गया है |उस धूने को निरंतर प्रज्वलित रखने के लिए लकड़ी कि आवश्यकता है | आपको यह सुयोग प्राप्त है कि- आप लकड़ी कि आवश्यकता पूर्ण कर पुण्य – लाभ प्राप्त करें |
परन्तु उस पुरुषों के समूह में ऐसे लोग सामिल थे कि उन्हें सिद्धों के महात्म्य का ज्ञान नहीं था अत: उन लोगों ने उन दोनों योगियों (योगी श्री रनपतनाथ तथा योगी श्री धातानाथ) से परिहास करने के विचार से समीप ही भूमि पर पड़े सहतीर कि ओर ऊँगली कर कहा कि वे धूने को प्रज्वलित रखने के लिए उसे उठा ले जाएँ |
परिहास करने वाले वियक्तियों का विचार था कि पचासों वियक्तियों द्वारा मिलकर जो सह्तीर उठाया न जा सकता हो उसे यर दोनों कैसे उठा सकते है यह सर्वथा असम्भव है अत वे योगी उस सह्तीर को उठा कर नहीं ले जा sसकेंगे इस प्रकार उनका सह्तीर उनके पास पड़ा रहेगा और उन्होंने योगिओं को लकड़ी देने से इंकार कर दिया इस निंदा से भी बचे रहेंगे इस प्रकार उनके दोनों हाथों में लड्डू रहेंगे | इसी विचार से उन्होंने योगिओं का परिहास किया था |पर उन्हें योग कि अमित शक्तियां का ज्ञान नहीं था | उन्हें यह पता नहीं था का योग साधना के कारण सामान्य से प्रतित होने बाले शरीर में अतुल –बल का संचार हो जाया करता है और योगीजन बल-विक्रम भी बहुत आगे बढ़ जाते है| योग साधना के कारणयोगी श्री रनपतनाथ तथा योगी श्री शातानाथ जी के शारीर में नेक हाथियों जितना बल संचित हो चुका था अत; उन दोनों को वह भारी शहतीर उठाने में कोई कठिनाई प्रतीत नहीं हुई और उन दोनों नें उस भारी शहतीर को ऐसे उठा लिया कि मनो वह कोई अत्यंत सामान्य भार रहित पदार्थ हो| दानो योगी उस शहतीर को वहाँ से उठा कर शिध शिरोमणि मस्त नाथ जी के पास ले गये| यह देखकर लोगो को अत्यधिक विस्मय हुआ साथ उन लोगो को अब यह भी चिंता हुई कि सचमुच ही इन योगियों ने यह शहतीर ले जाकर शिद्ध शिरोमणि बाबा मस्तनाथ जी के धुनें में लगा दिया तब चौपाल के लिए दूसरा शहतिर कहाँ और कैसे आयेगा? यह विचार मन में आते ही उन लोगो ने निश्चय किया कि उन्हें बाबा के धुनें पर जाकर वह शहतीर वापस लेन लाना चाहिये | खिरावली गांव के लोग ,ग्राम के बहार , शिद्ध शिरोमणि बबमास्त नाथ जी के धुनें पर पहुचे |वहा जाकर उन्होंने देखा कि गाव कि चौपाल के भवन निर्माण के लिए लाया गया वह
शहतीर शिद्ध शिरोमणि बाबा के धुनें में लगाया जा चुका था | गाव के लोग वह शहतीर वापस ले जाना चाहा |
सिद्ध श्रोमानी बाबा मस्तनाथ जी ने उन्हें समझाया कि योगीजनों का धूना यज्ञ स्वरुप होता है उसमें जलाई जाने वाली लकड़ी यज्ञ सामग्री होती है अब यह शहतीर यज्ञ सामग्री बन कर धूने में लगने से यज्ञ कि आहुति बन चुका है अत उन्हें उस शहतीर कि वापस ले जाने का विचार छोड़ देना चाहिए | साथ उन्हें यह भी समझाया कि यज्ञ में डाली गई यज्ञ सामग्री को निकालना यज्ञ ध्वंश करने के सामान है अत उन्हें ऐसा कृत्य नहीं करना चाहिए |
समय का प्रभाव ही समझिए कि सिद्ध शिरोमणि बाबा मस्तनाथ जी कि इन मंगलकारी बातों का उन गांव के लोगों बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ा और वे उस सह्तीर को ले जाने के लिए कृतसंकल्प रहे | उस जनसमूह में जंगी व घोघड नामक दो व्यक्ति प्रमुख थे | उन्होंने लोगों से कहा कि बाबा कि बातों पर धियान न् देकर सह्तीर को निकाल कर वापस ले चलना चाहिए जिससे चौपाल का निर्माण किया जा सके |
गांव के लोगों ने जंगी व घोघड कि बात मानी उन्होंने योगीराज बाबा मस्तनाथ के धूने से शहतीर निकाल लिया और उसे वहां से उठा कर गांव कि ओर ले जाने लगे |सिद्ध शिरोमणि बाबा मस्तनाथ जी को यज्ञ स्वरूप अपने प्रिय धूने के इस अपमान से भरी दुख हुआ | उन्होंने खिडवाली गांव के उद्दंड लोगों के मुखिया जंगी व घोघड को शाप दिया कि जंगी को तंगी तथा घोघड का लोगड हो जायेगा ! साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जिस चौपाल भवन निर्माण कार्य के लिए यह शहतीर ले जाया जा रहा है वह चौपाल भवन नहीं बनेगा |
सिद्ध शिरोमणि बाबा मस्तनाथ द्वारा खिडवाली गांव का परित्याग करके वहां से चले जाने कि घटना का गांव के धर्मपरायण लोगों को पता चला तो वे बहुत दुखी हुए खिडवाली गाव
के सृद्धालो नर नारियों को शिद्ध शिरोमणि द्वारा खिडवाली गांव ग्राम का परित्याग कर उनका वह से चला जाना गांव के लिए नितांत श्रमंगलकारी तथा अशुभ प्रतीत हुआ उन्होंने निश्चय किया वे सब सिद्ध शिरोमणि बाब मस्तनाथ जी जहा भी गए हों वहाँ उनके पीछे –पीछे जाकर उनके पास पहुंचेंगे और उन्हें यथोचित पूजा सत्कार द्वारा प्रसन्न कर वापस खिडवाली गांव में आने के लिए राजी करेंगे | खिडवाली गांव के सभी नर नारियां ,सिद्ध शिरोमणि बाबा मस्तनाथ जी के श्री चरणों में समर्पित करने के लिए भांति-भांति कि ‘भेंटें’अपने साथ लेकर ,उसी मार्ग पर चल पड़े जिस मार्ग को ग्रहण कर, खिडवालीगांव का परित्याग कर ,शिद्ध शिरोमणि बाबा मस्तनाथ जी गए थे |
खिडवाली गांव के इन धार्मिक नर-नारियों में खिडवाली गांव के चौधरी भजनाराम नामक एक सत्तर साल के एक जाट भी सम्मिलित थे | वह नि:संतान थे परन्तु उनकी सिद्ध शिरोमणि बाबा मस्तनाथ जी के पवन चरणों में अभिचल निष्ठा तथा गहन स्रेद्धा थी |यह भी सिद्ध सिरोमणि बाबा मस्तनाथ जी को प्रसन्न करने के लिए ,लाठी टेकते ,टेकते गांव के नर-नारियों के साथ चल पड़े |
खिडवाली गांव से दो कोस दूर धरावती नामक एक गांव हैं |सिद्ध शिरोमणि बाबा मस्तनाथ जी खिडवाली गांव का परित्याग करके उसी धरावटी गांव में पहुंचे और वहां पर उन्होंने अपना पावन धूना लगाया |
खिडवाली गांव के श्रद्धाल नर नारी सिद्ध सिरोमणि बाबा मस्तनाथ जी के पास धूने पर पहुंचे और उनके चरणों में लेट गए |
और उन्होंने उनसे क्षमा प्रार्थना कि की वे खिडवाली गांव द्वारा किये गए अपराध को क्षमा करें और पुन: खिडवाली गांव में पधारने की कृपा करें और साथ में उके द्वारा लाई गई पूजा भेंट स्वीकार करें |
सिद्ध सिरोमणि बाबा मस्तनाथ जी खिडवाली गांव के लोगों द्वारा लाई गई पूजा भेंट को स्वीकार नहीं किया और उन्हें वापस लौटा दिया | खिडवाली गांव के लोगों द्वारा बार बार अनुनय विनय करने पर सिद्ध शिरोमणि बाबा मस्तनाथ जी ने कहा की इस समय तो वे खिडवाली गांव में नहीं जावेंगे कालान्तर में वे, भूरे हाथी पर सवार भूतनी दरवाजा से गांव में जावेंगे और पूजा भेंट स्वीकार करेंगे |
इस युग में योग शक्तियों का चमत्कार देखना हो तो वह खिडवाली गांव में देखा जा सकता है | सिद्ध सिरोमणि बाबा मस्तनाथ जी ने खिडवाली गांव के राऊ पाने की जिस चौपाल को शाप दिया था वह चौपाल शाप के सवा दो सौ साल की लंबी अवधि बीत चुकी है पर इस समय तक चौपाल नहीं बन पाई है ! उतना ही नहीं अधिक आश्चर्य कि बात तो ये है कि जब जब भी उस चौपाल –भवन को बसाने कि चेष्ठा हुई है तब तब सदा ही गांव में प्राय:हुए हैं ,मनुष्य मरे हैं ,मुकद्दमे हुए हैं ,और अन्य अनेक प्रकार के संकट उत्पन हुए हैं |परिणाम यह हुआ कि वह चौपाल भवन अब तक नहीं बन पाया है! जिस भूमि खंड पर वह चौपाल भवन बनना था इस समय भी वह भूमि खंड पर अपने पशु बंधने शुरू किये तो पहले तो उसकी एक भेंस मर गयी |इस घटना के बाद उसने वाहन पशु बांधना बंद कर दिया इस घटना के कई वर्ष बीत जाने पर खिडवाली गांव के ही श्री मुंशीराम नामक एक व्यक्ति ने उस भूमि खंड पर अधिकार कर उस पर अपने पशु बांधना आरंभ किया |थोड़े ही दिन के बाद श्री मुंशीराम कि धरम पत्नी पागल हो गयी ! श्री मुंशीराम ने उस भूमि खंड से अपना अधिकार हटा लिया और वहां अपना पशु बांधना बंद कर दिया और ज्योत जला कर बाबा कि बह उसकी धरम पत्नी को स्वस्थ करने कि कृपा करे | लोगो के आश्चर्य और आनंद का परवर न रहा जब उन्होंने देखा कि श्री मुंशी राम कि धरम पत्नी पूरण स्वस्थ तथा निरोग हो गयी तभी से वह भूमि खंड उसी भांति पड़ा है और इसके बाद किसी भी व्यक्ति ने उस भूमि खंड पर अधिकार नहीं किया है |

1 comment:

  1. Sir I am looking for a book titled "Maya Mili Na Ram" By Mahant Yogi Chandernath. Is this book available? Photocopy of the book will also serve the purpose. Ravi Sharma - 9914131008

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